Lucknow News: ग्रामीण युवाओं को बेहतर कौशल प्रशिक्षण देकर सशक्त बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्या योजना (DDU-GKY) के तहत एक खास कार्यक्रम आयोजित किया था।
इस योजना के अंतर्गत 21 से 23 अप्रैल को तीन दिन की कौशल विकास कार्यशाला हुई थी। इस कार्यशाला का नेतृत्व उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन ने किया था और इसका संचालन व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री कपिल देव अग्रवाल की देखरेख में हुआ था।
कार्यशाला का उद्देश्य क्या था?
दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्या योजना के तहत इस कार्यशाला का आयोजन उन शिक्षकों और अधिकारियों की क्षमता बढ़ाने के लिए किया गया था जो ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण देते हैं। इसमें शामिल थे:
- प्रशिक्षण संस्थानों के प्रमुख
- मंडलीय संयुक्त निदेशक
- जिला समन्वयक
- जिला कार्यक्रम प्रबंधक
- प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS) प्रबंधक
इन सभी को नई प्रशिक्षण तकनीकों, तकनीकी नवाचारों और कार्य में आने वाली समस्याओं के समाधान के बारे में बताया गया था।
ग्रामीण युवाओं को मिला फायदा
इस कार्यशाला का मुख्य लक्ष्य था कि ग्रामीण युवाओं को बेहतर प्रशिक्षण, उचित मार्गदर्शन और समय पर सहायता मिले। इससे युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त करने में मदद मिली और वे स्वरोजगार के रास्ते भी तलाश सके। सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा था कि यह पहल ग्रामीण युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने और दूसरों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने में सहायक होगी।
राज्य के बड़े लक्ष्य में योगदान
दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्या योजना के तहत यह कार्यशाला उत्तर प्रदेश के एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली थी। इसने ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल विकास को बढ़ावा देकर आर्थिक प्रगति को गति दी।
कौन-कौन शामिल हुआ?
इस कार्यशाला में कौशल विकास, रोजगार, उद्योग और शिक्षा विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए थे। इनमें थे:
- अपर मुख्य सचिव
- प्रमुख सचिव
- विभागों के प्रमुख
- अन्य वरिष्ठ अधिकारी
इस कार्यशाला ने नीति निर्माताओं और कार्यान्वयनकर्ताओं के बीच सीधा संवाद स्थापित किया, जिससे दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्या योजना के लक्ष्यों को और प्रभावी ढंग से लागू करने में मदद मिली।
क्यों थी यह कार्यशाला खास?
दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्या योजना ग्रामीण युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर है। यह योजना उन्हें कौशल प्रदान करती है और रोजगार व स्वरोजगार के रास्ते खोलती है। इस कार्यशाला ने शिक्षकों और अधिकारियों की क्षमता बढ़ाकर यह सुनिश्चित किया कि ग्रामीण युवा आत्मनिर्भर बनें और राज्य की प्रगति में योगदान दें।